HINDI DIWAS | हिंदी दिवस |

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आज हम देश निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाली हिंदी भाषा के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे। हिंदी दिवस कब से मनाया जाताहै? क्यों मनाया जात हैं? हिंदी का स्तर धीरे-धीरे कम क्यों होता जा रहा है? लोगों को जोड़ने में इसकी क्या भूमिका है, इत्यादि मुद्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। 

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1. प्रस्तावना: भारत एक ऐसा देश है जहां अलग-अलग प्रांतों में मराठी ,बंगाली ,तमिल ,गुजराती जैसी अनेक भाषाएं बोली जाती हैं। पर हिंदी एक ऐसी  मातृभाषा है, जो भारत के हर प्रांतों और क्षेत्रों में बोली जाती है। यह एक ऐसी सरल भाषा है जिसे हर एक व्यक्ति आसानी से समझ सकता है ,बोल सकता है। भारतीय संस्कृति को संजोने में एक अहम भूमिका निभाने वाली कोई भाषा है तो वह है हिंदी भाषा।

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2. राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त होना : हिन्दी भाषा लोगों के मन और विचार को बहुत ही आसानी से जोड़ देती है। हमारे देश में इस भाषा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। नेपाल, श्रीलंका, सिंगापुर, अमेरिका ,तथा पाकिस्तान जैसे देशों में भी हिंदी भाषा बोलने का प्रचलन है।अतः हिंदी भाषा को सम्मान देने हेतु हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में यह निर्णय लिया गया  कि हिंदी भी  केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। हिंदी भाषा को देश के हर कोने में पहुंचाने के लक्ष्य से वर्ष 1953 से पूरे भारत में, हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस बड़े जोरों शोरों से मनाया जाता है। । आगे चलकर इसे  राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ। 14 सितंबर का दिन हिंदी के महान साहित्यकार राजेंद्र सिंह जी के जन्मदिन रूप में भी मनाया जाता है।

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3.विविध कार्यक्रम: हिंदी दिवस का कार्यक्रम स्कूल ,कॉलेज और सरकारी कार्यालयों में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। स्कूलों और कॉलेजों में निबंध, कहानी लेखन ,भाषण जैसी प्रतियोगिता के साथ अनेक प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए जाते हैं। इसके साथ  हिंदी वाद -विवाद तथा कविता जैसे प्रतियोगिता का भी आयोजन कियाजाता है। 14 सितंबर का दिन हिंदी भाषा को सम्मान देने का दिन है। सरकारी कार्यालयों तथा बैंकों में हिंदी पखवाड़ा दिन मनाया जाता है। इस दिन बहुत से लोग हिंदी कविता पढ़ते हैं तथा अपनी संस्कृति के बारे में जानकारी देते हैं। हिंदी दिवस का कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर भी मनाया जाता है ।इस दिन देश के राष्ट्रपति उन लोगों को पुरस्कार देते हैं जो हिंदी भाषा सेसंबंधित किसी भी क्षेत्र में एक विशेष उपलब्धि प्राप्त किए होते हैं। अलग-अलग कार्यक्रमों के माध्यम से नई पीढ़ी में हिंदी के प्रति सम्मान जागृत किया जाता है। हिंदी दिवस एक ऐसा दिन है जो हमें देश भक्ति भावना के लिए प्रेरित करता है ।हिंदी दिवस के कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले पुरुष अक्सर कुर्ता पाजामा तथा स्त्रीया साड़ी या सूट पहनकर सम्मिलित होती है। उत्तर प्रदेश ,बिहार ,झारखंड ,राजस्थान ,छत्तीसगढ़ ,मध्य प्रदेश जैसे अनेक प्रांतों में हिंदी को राज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकारा गया है।

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4.हिंदी का महत्व कम होना: भले ही हिंदी व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है, परंतु इसका महत्व मूल देश में धीरे-धीरे घटता ही जा रहा है। स्कूलों ,कॉलेजों और कार्यालयों में अंग्रेजी भाषा को ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है। बड़े-बड़े शैक्षणिक संस्थानों तथा प्राइवेट कार्यालयों में उन्हे ही नौकरी मिलती है जिन्हें अंग्रेजी अच्छी तरह से बोलना आता है। कई बार तो लोग अंग्रेजी में साक्षात्कार (इंटरव्यू)देने में असमर्थ होने के कारण अपनी नौकरी तक खो देते हैं। अब तो बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को अंग्रेजी सीखने के महत्व पर जोर देते हैं। उनके मन में यह धारणा बन जाती है कि अगर हमारा बच्चा अच्छा अंग्रेजी बोल सकता है तो उसे अच्छी नौकरी आसानी से मिल जाएगी। इसीलिए अभिभावक या  माता-पिता अपने बच्चों का प्रवेश अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कराते हैं। कहने  का तात्पर्य यह है कि अंग्रेजी भाषा के सामने हिंदी भाषा का स्तर धीरे-धीरे कम होता नजर आ रहा है।

 

 

5.हमारा कर्तव्य: कोई भी देश तभी समृद्धि शाली बन सकता है जब उसकी राष्ट्रभाषा को एक विशेष प्रकार का सम्मान मिलता है। आज चीन इतना आगे क्यों गया? क्योंकि वहां के लोगों ने चीनी भाषा को सम्मान दिया |उनकी शिक्षा प्रणाली में सिर्फ चीनी भाषा का ही समावेश है। यदि हमें अपनी संस्कृति बचाना है, तो हिंदी भाषा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यहां की शिक्षा प्रणाली हिंदी भाषा में हो इसे भी ध्यान में रखना जरूरी है। हिंदी माध्यम के स्कूलों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। लोगों में हिंदी के प्रति जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। स्कूल ,कॉलेजों और कार्यालयों में हिंदी को एक प्राथमिक भाषा के रूप में दर्जा दिया जाना चाहिए। हिंदी हमारी मातृभाषा है, इसका आदर तथा मूल्य हमे समझना चाहिए। इस भाषा का प्रचार प्रसार करना हमारा कर्तव्य है।
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