14 नवंबर |bal diwas | pandit jawahar lal neharu jayanti

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 आज हम बाल दिवस के बारे मे जानकारी प्राप्त करेगे |       

 प्रस्तावना:

हमारे देश में जिस प्रकार 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है उसी प्रकार 14 नवंबर को बाल दिवस  मनाया जाता है। 14 नवंबर हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्म दिवस के रूप में जाना जाता है। उनके जन्म दिवस के उपलक्ष में ही पूरे भारत देश में हर वर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। बाल दिवस एक राष्ट्रीय त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। बच्चे पंडित जवाहरलाल नेहरू को बहुत पसंद करते थे। प्यार से  पंडित जवाहरलाल नेहरू को चाचा नेहरू भी कहते थे।

नेहरू जी के बारे में:

14 नवंबर 1889 को जन्मे पंडित जवाहरलाल नेहरू केवल एक राजनीतिज्ञ ही नहीं थे बल्कि वे एक बहुमुखी प्रतिभा संपन्न महापुरुष थे। मानवीय संवेदनाओं को अच्छी तरह से पहचानते थे। वे हमेशा देश के विकास के बारे में चिंतन करते थे। उन्हे मानवतावादी पुरुष के रूप में भी जाना जाता है। उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण की सोच को देखते हुए तथा देश के लिए समर्पण की भावना को नजर में रखते हुए उन्हें प्रथम प्रधानमंत्री के पद से नवाजा गया। उनके देश के प्रति असीम कार्यों को देखते हुए उन्हें भारत रत्न से अलंकृत किया गया।

 

बच्चों के प्रति चाचा नेहरू के संदेश:

नेहरू जी बच्चों को देश का भविष्य मानते थे। उनका कहना था कि छोटे- बड़े बच्चे देश की अमूल्य धरोहर है। इनका अच्छे रूप से तथा सर्वांगीण विकास करने से देश का संपूर्ण विकास संभव है। उनका मानना था कि बच्चों को अच्छा संस्कार देना अत्यधिक जरूरी है। उनके शरीर और सेहत का ख्याल रखना भी जरूरी है। बच्चों को शिक्षा के लिए हमेशा प्रेरित करते रहना चाहिए। एक उत्तम शिक्षा एक उत्तम नागरिक का निर्माण करती है।

 

स्कूल में किस प्रकार बाल दिवस मनाया जाता है?

स्कूल में 14 नवंबर अर्थात बाल दिवस बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। कई सारे स्कूलों में अनेक प्रकार के प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। देश के लिए चाचा नेहरू के महान कार्यों को याद करने के लिए कविता पाठ ,नृत्य, गीत तथा भाषण जैसे अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।  रंग-बिरंगे गुब्बारों के साथ-साथ अन्य प्रकार के सजावट करने वाले सामानों से स्कूल को सजा दिया जाता है। नेहरू के याद में निबंध स्पर्धा के साथ-साथ नाटिका का भी आयोजन किया जाता है। कई सारे बच्चे कुर्ता तथा पायजामा जैसे परिधान पहनकर स्कूल में नजर आते।

 

चाचा नेहरू के अनुसार बच्चों को प्रति सामाजिक कर्तव्य:

पंडित जवाहरलाल नेहरू का ऐसा सोचना था कि नन्हे मुन्ने बच्चे ही देश के आधार स्तंभ है। समाज में ऐसे कई बच्चे हैं जो घर की परिस्थिति ठीक ना होने के कारण अपनी शिक्षा प्रणाली को पूरा नहीं कर पाते है। समाज के प्रत्येक व्यक्ति को आगे आकर ऐसे बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ उन्हें आर्थिक सहयोग भी प्रदान करना चाहिए। अगर समाज का प्रत्येक व्यक्ति ऐसे बच्चों के अभिभावक के रूप में भूमिका निभाएगा तो निश्चित ही हमारा देश प्रगति की राह पर बढ़ जाएगा।

 

निष्कर्ष:

बाल दिवस का कार्यक्रम तभी सफल हो पाएगा जब देश का प्रत्येक बच्चा एक अच्छी शिक्षा प्रणाली को प्राप्त करने में सफल होगा। समाज के प्रत्येक व्यक्ति को इन पिछड़े बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी पड़ेगी। इन गरीब बच्चों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ बाल श्रम तथा बाल शोषण जैसे गंभीर मुद्दों पर भी विचार विमर्श करने की आवश्यकता पड़ेगी।

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