आज हम सजीवों मे जीवन प्रक्रिया भाग-1 के महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे मे जानकारी प्राप्त करे
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सजीव और जीवन प्रक्रिया-
मानव शरीर में अनेक संस्थान कार्यरत हैं सभी संस्थान एक दूसरे के समन्वय से कार्य करते रहते हैं| उनके इन कार्यों के लिए ऊर्जा की सतत आपूर्ति की आवश्यकता होती है। आहार में मौजूद कार्बोहाइड्रेट, वसा, तथा प्रोटीन शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। कोशिका के कोशिका द्रव्य में स्थित तंतुकड़ीका पोषक तत्वों का संश्लेषण करके उर्जा उत्पन्न करती है। इस संश्लेषण के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। रक्त ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है ।इस प्रकार प्रत्येक कोशिका को ऑक्सीजन तथा पोषक तत्वों की आपूर्ति ऊर्जा उत्पादन के लिए की जाती है।
कार्बोहाइड्रेट (कार्बोज)-
स्रोत :दूध ,चना, गुड़, गन्ना, दलहन ,साग सब्जी आलू, शकरकंद ,मिठाई
कार्य: कार्बोहाइड्रेट से 4 (Kcal/gm)किलो कैलोरी प्रति ग्राम ऊर्जा प्राप्त होती है
सजीव और ऊर्जा का निर्माण-
सजीव में श्वसन शारीरिक तथा कोशिकीय स्तर पर किया जाता है।
शारीरिक स्तर पर श्वसन: शरीर तथा पर्यावरण के मध्य ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान
कोशिकीय स्तर पर शोषण: कोशिका के अंतर भाग में भोजन(पोषक तत्त्वों) का ऑक्सीकरण
सजीव में कोशिकीय श्वसन के दो प्रकार होते हैं-
i) आक्सी श्वसन (ऑक्सीजन की उपस्थिति में)
ii)अनाक्सी श्वसन (ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में)
iii) ऑक्सी श्वसन तीन चरणों से पूर्ण किया जाता है
a) ग्लूकोज का विघटन
b) ट्राय कार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र
c) इलेक्ट्रॉन संवहन श्रृंखला अभिक्रिया
ध्यान रखें-
1)ग्लूकोज का एक अणु ऑक्सीजन की उपस्थिति में पूर्ण रुप से ऑक्सीकरण होने के पश्चात ऊर्जा के साथ ही कार्बन डाइऑक्साइड तथा पानी का अणु भी बनता है।
कोशिका श्वसन में सहायता करने वाले दो co enzymes निम्न है |
NADH2-निकोटिनामाइड एडिनाईड डाय न्यूक्लियोटाइड
FADH2- फ्लेविन एडिनाईड डाय न्यूक्लियोटाइड
2) ATP
ATP एक ऊर्जा समृद्ध अणु है।
एटीपी में फास्फेट अणु जिस बंध से जुड़े होते हैं|
उस बंध में उर्जा संग्रहित होती है। कोशिका की आवश्यकता अनुसार फास्फेट अणु के बंध का विघटन करके ऊर्जा प्राप्त की जाती है।
कोशिका में आवश्यकता के अनुसार एटीपी अणु का संग्रह किया जाता है।
महत्वपूर्ण शब्दावली-
i) पोषण: पदार्थों को शरीर द्वारा ग्रहण करने तथा शरीर द्वारा उनका उपयोग करने की पूर्ण प्रक्रिया को पोषण कहते हैं।
ii) पोषक: तत्व खाद्य पदार्थों के विभिन्न घटक जैसे कार्बोज, प्रथिन (वसा) स्निग्ध पदार्थ, जीवनसत्व तथा खनिज इत्यादि घटकों को पोषक तत्व कहते हैं।
iii) प्रथिन : अमीनो अम्ल के अनेक अणु एक दूसरे से रासायनिक बंध द्वारा जोड़कर एक महा अणु बनाते हैं इस महाअणु को ही प्रोटीन(प्रथिन) कहा जाता है
iv) Glycolysis (ग्लाइको लायसिस):
कोशिका में होने वाली प्रक्रिया है जिसमें ग्लूकोज के अणु का विघटन होने पर क्रमशः पायरुविक अम्ल, ATP, NADH2 तथा पानी के दो-दो अणु बनते हैं| ऐसी प्रक्रिया को ग्लाइको लायसिस) कहते है।
v) ग्लुकोनीओजेनेसिस:
कार्बोहाइड्रेट को छोड़कर अन्य पोषक द्रव्य प्रथिन से ग्लूकोज निर्मित होने की प्रक्रिया को ग्लुकोनीओजेनेसिस कहते है।
vi) प्राणी जन्य पदार्थों से फर्स्ट क्लास प्रथिन प्राप्त होता है। प्रति ग्राम प्रथिन से 4 Kcal किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।
वनस्पति कोशिका के हरित लवक में पाया जाने वाला रूबिस्को (RUBISKO) नामक enzyme प्रकृति में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला प्रथिन है।
vii) स्निग्घ पदार्थ:
तेल ,मक्खन, घी , पशु चर्बी, तथा तिलहन से प्राप्त होते हैं। स्निग्ध पदार्थों से प्रति ग्राम 9 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।
viii) जीवन सत्व:
शरीर के सुचारू रूप से कार्य करने और निर्वाह के लिए जीवनसत्व की आवश्यकता होती है।
जीवन सत्य के निम्न प्रकार है|
स्निग्ध पदार्थ वसा में घुलनशील जीवन सत्व-
A,D,E और K और
पानी में घुलनशील तत्व – B और C
ix) पानी:
पानी आवश्यक पोषक द्रव्य है| मानव शरीर में लगभग 65% से 75% पानी होता है। रक्त प्लाज्मा में 90% पानी होता है शरीर में पानी की कमी होने पर कोशिका और शरीर की कार्यप्रणाली पर दुष्प्रभाव पड़ता है|
x) तंतुमय पदार्थ:
तंतुमय पदार्थों को हम पचा नहीं सकते। परंतु अन्य पदार्थों की पाचन क्रिया में तथा ना पचे पदार्थों की उत्सर्जन क्रिया में तंतुमय पदार्थ उपयोगी सिद्ध होते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियों फल अनाज इत्यादि में तंतुमय पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं|
कोशिका विभाजन तथा कोशिका विभाजन के लाभ-
एक कोशिका से अनेक कोशिका बनने की प्रक्रिया को कोशिका विभाजन कहते हैं।
कोशिका विभाजन के लाभ-
एक सजीव से नए सजीव की उत्पत्ति |
बहुकोशिकीय सजीव की वृद्धि |
घाव ठीक हो ना |
कोशिका विभाजन के प्रकार
समसूत्री विभाजन और अर्धसूत्रीविभाजन
सूत्री विभाजन और अर्धसूत्रीविभाजन में अंतर
i) समसूत्री विभाजन
दो चरणों में पूर्ण होता है|
यह विभाजन कायिक कोशिका और मूल
कोशिका में होता है।
गुणसूत्र की संख्या में परिवर्तन नहीं होता है।
मातृ कोशिका में दो नई संतति कोशिकाएं बनती है।
समसूत्री विभाजन में समजात गुणसूत्रों में जनकीय पुनर संयोंग नहीं होता है।
समसूत्री विभाजन में चार अवस्थाएं होती हैं। पूर्ववस्था, मध्यवस्था पश्चा वस्था, अंत्यावस्था
ii ) अर्धसूत्री विभाजन
यह विभाजन जनन कोशिका में होता है।
दो बृहद भागों में पूर्ण होता है होता है और अर्धसूत्री विभाजन -1 और विभाजन -2
गुण सूत्रों की संख्या आधी हो जाती है।
समसूत्री विभाजन में समजात गुणसूत्रों में जनकीय पुनर संयोंग होता है।
एक जनक कोशिका से चार जनक कोशिका तैयार होती हैं |
यह विभाजन लैंगिक प्रजनन मे युग्मक के निर्माण के लिए आवश्यक हैं |
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