आज हम गुरुत्वाकर्षण पाठ के सभी महत्वपूर्ण मुददों के बारे जानकारी प्राप्त करेगे |
बल के प्रकार: नाभिकीय बल, चुंबकीय बल ,विद्युत चुंबकीय बल, गुरुत्वीय बल
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गुरुत्वाकर्षण बल: यह बल दो पिंडों के बीच में प्रयुक्त होता है। यह बल एक वैश्विक बल है।
अभिकेंद्री बल : जब कोई भी पिंड वृत्ताकार गति करता है, तब उस पिंड पर वृत्त के केंद्र की तरफ एक बल प्रयुक्त होता है। इस बल को अभिकेंद्रीय बल कहते हैं।
वृत्ताकार गति: जब कोई पिंड वृत्त की परिधि पर अपनी गति करता है, उस पिंड की गति वृत्ताकार गति कहलाती है।
दीर्घ वृत्त: किसी शंकु को किसी एक प्रतल द्वारा तिरछा प्रतिच्छेदित करने पर तैयार होने वाली आकृति को दीर्घ वृत्त कहते हैं ।इसके दो नाभिबिंदु होते हैं।
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम: इस सिद्धांत के अनुसार विश्व का प्रत्येक पिंड अन्य प्रत्येक पिंड को निश्चित बल द्वारा आकर्षित करता है। यह बल आकर्षित करने वाले पिंडों के द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के प्रतिलोमानुपाती होता है।
ज्वार और भाटा: समुंद्र के जल का स्तर चंद्रमा के गुरुत्व बल के कारण बदलता है| इस बल के कारण चंद्रमा की दिशा में स्थित पानी ऊपर उठता है, इस कारण उस स्थान पर ज्वार आता है । इसी के साथ साथ उस स्थान से पृथ्वी के 90 अंश के कोण पर स्थित पृथ्वी के जिस स्थान पर पानी का स्तर कम होता है और वहां भाटा आता है ।
गुरुत्वीय बल: पृथ्वी उसके समीप के सभी पिंडों को एक बल द्वारा अपनी ओर आकर्षित करती है जिसे गुरुत्वीय बल कहते हैं।
चंद्रमा और कृत्रिम उपग्रह का घूमना: चंद्रमा और कृत्रिम उपग्रह पर, पृथ्वी की तरफ से एक बल प्रयुक्त किया जाता है ,जो पृथ्वी के केंद्र की तरफ कार्य करता है। इस बल के कारण चंद्रमा और कृत्रिम उपग्रह पृथ्वी के चारों तरफ परिभ्रमण करते हैं।
पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण: पृथ्वी प्रत्येक पिंड पर गुरुत्वीय बल प्रयुक्त करती है। इस बल के कारण पिंड में त्वरण उत्पन्न होता है। इसे ही गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं इसे g से दर्शाते हैं । g पिंड के स्थान पर निर्भर होता है। g का मान 9.8 m/s2
द्रव्यमान तथा भार में अंतर:
द्रव्यमान:
- यह सर्वत्र समान होता है।
- इसकी SI इकाई किलोग्राम होती है।
- यह एक अदिश राशि है।
- यह कभी 0 नहीं हो सकता।
- किसी पिंड में समाविष्ट द्रव्य के संपूर्ण परिमाण को उस पिंड का द्रव्यमान कहते है।
भार:
- स्थान के अनुसार यह परिवर्तित होता है।
- इसकी SI इकाई न्यूटन होती है।
- यह एक सदिश राशि है।
- किसी पिंड को पृथ्वी जिस गुरुत्व बल से अपने केंद्र की ओर आकर्षित करती है उसे पिंड का भार करते हैं।
g के मान में होने वाले परिवर्तन:
(अ) पृथ्वी के पृष्ठ भाग पर परिवर्तन: g का मान ध्रुव पर सर्वाधिक (9.83) होता है तथा भूमध्य रेखा की ओर जाते समय उसका मान (9.78) कम होता जाता है।
(ब) पृथ्वी की ऊंचाई के अनुसार परिवर्तन: ऊंचाई पर जाते समय g का मान घटता जाता है। पृथ्वी की सतह से 10 किलोमीटर की ऊंचाई तक g के मान मे कोई भी परिवर्तन नहीं होता है।
(क) गहराई के अनुसार परिवर्तन: पृथ्वी की सतह से पृथ्वी की गहराई में जाते समय g का मान घटता जाता है। पृथ्वी के केंद्र पर यह मान शून्य हो जाता है।
मुक्त पतन: जब कोई पिंड केवल पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण नीचे आता है तब उस पिंड की गति को मुक्त पतन कहते है।
मुक्त पतन में प्रारंभिक व वेग 0 माना जाता है। पृथ्वी पर मुक्त पतन के समय हवा के साथ होने वाले घर्षण के कारण पिंड की गति का विरोध होता है और पिंड पर ऊर्ध्वगामी बल भी कार्य करता है अतः यथार्थ रूप से हवा में मुक्त पतन नहीं हो सकता है यह केवल निर्वात में संभव है।
मुक्ति वेग या पलायन वेग: एक ऐसा वेग जिसके कारण पिंड, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल से मुक्त हो जाता है। उस वेग को मुक्ति वेग या पलायन वेग कहते हैं।
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा: किसी पिंड तथा पृथ्वी के मध्य गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पिंडों में जो ऊर्जा समाविष्ट होती है उसे गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
गुरुत्वीय लहरे : इन्हें अंतरिक्ष काल की तरंगे भी कहा जाता है। अत्यंत क्षीण होने के कारण उन्हें खोजना अत्यंत कठिन था। 1916 में आइंस्टीन ने इसकी खोज की। खगोलीय पिंडों में से उत्सर्जित गुरुत्व तरंगों को खोजने के लिए वैज्ञानिकों ने अत्यंत संवेदनशील उपकरणों को विकसित किया है। इसमें LIGO (laser interferometric gravitational-wave observatory) भी शामिल है। वैज्ञानिकों ने सन 2016 में आइंस्टाईन की भविष्यवाणी के 100 वर्षों के पश्चात गुरुत्वीय तरंगों की खोज की|
पंख तथा पत्थर का पृथ्वी पर एक साथ गिरना :पृथ्वी के किसी एक स्थान पर g का मान सभी पिंडों के लिए समान होता है इसीलिए किन्हीं भी दो पिंडों को एक ही उचाई से छोड़ने पर भी एक ही समय पर जमीन पर पहुंच जाते हैं। उनके द्रव्यमान तथा अन्य किसी भी गुणधर्म का इस समय अवधि पर परिणाम नहीं होता है।
परंतु यदि हमने एक पत्थर और एक पंख को ऊंचाई से एक ही समय पर छोड़ा तो भी एक ही समय पर जमीन पर पहुंचते हुए नहीं दिखाई देते। इसका कारण यह है कि पंख के हवा से होने वाले घर्षण के कारण प्रयुक्त होने वाले उर्ध्वगामी बल के कारण तैरते हुए धीरे-धीरे नीचे आता है और जमीन पर देर से पहुंचता है। हवा के द्वारा प्रयुक्त होने वाला बल पत्थर पर प्रभाव करने में कम पड़ता है। इसीलिए वैज्ञानिक ने यह प्रयोग निर्वात में करके यह सिद्ध किया कि पत्थर और पंख दोनों एक ही समय पर जमीन पर पहुंचती है
अंतरिक्ष में भारहीनता: अंतरिक्ष यान पृथ्वी से ऊंचाई पर है फिर भी वहां g का मान पृथ्वी के पृष्ठ भाग के मान की तुलना में 11% कम होता है। मुक्त पतन की अवस्था ,भारहीनता का कारण बनती है। मुक्त पतन की अवस्था में यात्री तथा अवकाश यान पर केवल गुरुत्व बल कार्य करता है। मुक्त पतन का वेग , पिंड के गुणधर्म पर निर्भर ना होने के कारण यात्री, यान और उसमें स्थित वस्तु एक समान वेग से मुक्त पतन करते है। यही कारण है कि अंतरिक्ष में यात्री भारहीनता महसूस करता है।
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