साथियों आज हम 2020 ग्लोबल टीचर विजेता रणजीत सिंह डिसले की जीवनी (डिसले गुरुजी BIOGRAPHY)के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने वाले है |
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🔆 शुरुवाती जीवन और शिक्षण(STARTING LIFE & EDUCATION)
ग्लोबल टीचर विजेता रणजीत सिंह डिसले सोलापुर जिले के बार्शी ताहसील (तालुका) के मूल निवासी हैं। इनका जन्म दिनांक 5 अगस्त 1988 है।उनकी स्कूली शिक्षा बार्शी तहसील में स्थित सुलाखे विद्यालय से हुई है। डिसले गुरुजी शिक्षण प्रक्रिया में 2009 से जुड़े हुए हैं।डिसले सोलापुर जिले के माढ़ा तहसील(तालुका) के परितेवाडी में प्राथमिक शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। इन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी(Information technology) का उपयोग करते हुए नई शिक्षण तकनीक का विकास किया है। QR कोड के माध्यम से किस प्रकार सिखाया जा सकता है ,इस तकनीकी का लोगों को अवलोकन कराने में डिसले गुरुजी की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। उनकी यही खोज ,सभी शिक्षकों को प्रेरणा का स्रोत बन गई है। उन्होंने आईटी(IT) के प्रभावी उपयोग के लिए अपनी एक छोटी प्रयोगशाला स्थापित की है। लॉकडाउन के पीरियड में छात्रों को प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया के प्रभावी उपयोग के बारे में भी सिखाया।
पूरा नाम | रणजीत सिंह डिसले |
जन्मदिनांक | 5 अगस्त 1988 |
स्थान | सोलापुर (महाराष्ट्र ) |
पुरस्कार | ग्लोबल टीचर विजेता |
पुरुस्कार राशि | 7 करोड रुपए |
कौन सी खोज के लिए | QR कोड का इस्तेमाल |
🔆 ग्लोबल टीचर प्राइज( डिसले गुरुजी BIOGRAPHY )
3 दिसंबर 2020 को यूनेस्को और लंदन स्थित वार्की फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से डिसले गुरूजी को ग्लोबल टीचर प्राइज का पुरस्कार दिया गया । पुरस्कार के रुप में उन्हें 7 करोड रुपए का इनाम भी दिया गया ।इस पुरस्कार को प्राप्त करने के लिए दुनिया भर से 12000 से अधिक शिक्षकों का नामांकन प्राप्त हुआ था। इसलिए डिसले गुरूजी यह पुरस्कार पाने वाले प्रथम भारतीय शिक्षक बने । अंतिम 10 शिक्षकों की सूची में डिसले गुरूजी विद्यमान थे ।

🔆 अन्य पुरस्कार और उपलब्धियां
इसके पहले माइक्रोसॉफ्ट फाउंडेशन द्वारा डिसले गुरूजी को शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने के उपलक्ष्य में पुरस्कार दिया गया था। QR कोड का इस्तेमाल करके किस प्रकार शिक्षा प्रणाली को रचनात्मक और सक्षम बनाया जा सकता है ,इसी खोज और विचार के ऊपर उन्हे यह पुरस्कार प्राप्त हुआ था। ग्लोबल टीचर प्राइज पुरस्कार जीतने के बाद डिसले गुरूजी को विश्व बैंक ने सलाहकार के रूप में नियुक्त किया।दुनिया भर के सभी शिक्षकों को ट्रेनिंग देने हेतु और शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए विश्व बैंक ने ग्लोबल कोच नामक एक कार्यक्रम शुरू किया । इस कार्यक्रम का उद्देश्य दुनिया भर के बच्चों की शिक्षा के स्तर को बढ़ाना, शिक्षकों को समय-समय पर ट्रेनिंग देना है।
इसके अलावा स्थानीय लोगों को बेटियों को स्कूल भेजने के लिए मनाने का काम भी डिसले गुरूजी ने किया। गांव के कई ऐसे भी बच्चे होते थे जो स्कूल में जाने की बजाय खेती के काम में व्यस्त रहते थे। इन बच्चों को स्कूल भेजने के उद्देश्य से डिसले गुरूजी उनके माता-पिता के पास जाकर शिक्षा के महत्व को समझाते थे। और उन बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करते थे।
🔆 मीडिया के सामने क्या बोला डिसले गुरूजी जी ने
डिसले गुरूजी ने हाल ही मे एक पत्रकार को साक्षात्कार देते समय बोला कि जब से उन्हें पुरस्कार मिला है तब से विभाग के कई अधिकारी उन्हें तकलीफ देते जा रहे हैं। पीएचडी (PHD)करने के हेतु उन्हें अमेरिका जाना था और जिसके लिए उन्होंने छुट्टियों का आवेदन भी किया था। पर किसी भी अधिकारी ने उनके आवेदन का सही जवाब नहीं दिया। 25 जनवरी तक सारे कागज पत्रों को जमा करवाना था, पर अभी तक विभाग की तरफ से उन्हे कोई भी सकारात्मक उत्तर नहीं मिला है। उल्टा उन पर आरोप लगाया गया है कि कई दिनों से स्कूल में गैरहाजिर थे। विभाग की तरफ से कोई भी सकारात्मक सहायता ना मिलने की वजह से अब उन्हें लगने लगा है कि शायद यह स्कॉलरशिप उनके हाथ से निकल जाएगी।

🔆 निष्कर्ष
तो साथियों इस प्रकार आज हमने 2020 ग्लोबल टीचर विजेता रणजीत सिंह डिसले की जीवनी (डिसले गुरुजी BIOGRAPHY)के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर ली है |
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