छठ पर्व |chhath parv

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   आज हम छठ पर्व के बारे मे जानकारी प्राप्त करेगे |

1) प्रस्तावना:

वैसे तो हमारे देश में दशहरा, रक्षाबंधन ,दिवाली ,होली जैसे कई प्रकार के त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाये जाते हैं, पर इन्हीं त्योहारों के जैसे छठ पूजा का त्योहार भी हिंदुओं में एक प्रसिद्ध त्योहार के रूप में जाना जाता है। इस त्योहार में माता छठ और भगवान सूर्य की पूजा अर्चना की जाती है। हिंदुओं के अलावा कुछ अन्य धर्म के लोग भी इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। यह त्योहार अक्सर झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे प्रांतों में विशेष रूप से मनाया जाता है। नेपाल जैसे देशों के कुछ प्रांतों में भी यह त्योहार विशेष रूप से प्रचलित है।

 


2)किस प्रकार मनाते है?

छठ पर्व 4 दिन तक चलने वाला त्योहार है। पहला दिन नहाय खाय के रूप में जाना जाता है। इस दिन रोटी, लौकी  की सब्जी , चने की दाल का सेवन किया जाता है। इस दिन के बाद खाने में नमक वर्जित होता है। दूसरा दिन खरना के रूप में जाना जाता है। इस दिन एक विशेष प्रकार की खीर का प्रसाद बनाया जाता है जिसमें गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है। उसी दिन संध्या को प्रसाद ग्रहण करके निर्जला व्रत शुरु कर दिया जाता है। तीसरा दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस दिन माता छठ की पूजा की जाती है तथा संध्या के समय डूबते हुए सूर्य को गाय के दूध और जल से अर्घ्य दिया जाता है। इस त्योहार का एक विशेष रूप का प्रसाद जिसे ठेकुआ कहते हैं और फल भी चढ़ाया जाता है। आखरी अर्थात चौथे दिन सुबह ही उगते हुए सूरज को व्रत धारी महिला और पुरुष एक बार फिर से देती है । भगवान सूर्य को अर्घ देने के बाद व्रत धारी पुरुष और महिला प्रसाद ग्रहण करते हैं और अपना व्रत तोड़ते हैं। पूजा संपन्न होने के बाद लोगों में प्रसाद वितरण का कार्यक्रम भी किया जाता है।

3)पूजा मनाने के पीछे की कुछ प्रचलित कथाएं

 

i)दानवीर कर्ण की सूर्य पूजा:

ऐसी मान्यता है कि दानवीर कर्ण प्रतिदिन भगवान सूर्य की उपासना और पूजा करते थे। वह प्रतिदिन स्नान के बाद नदी में जाकर खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ देते थे। सूर्य देव की कृपा से ही वे एक महान योद्धा बने।


ii)द्रौपदी का छठ व्रत:

ऐसी मान्यता है कि पांडवों के बेहतर स्वास्थ्य और सुखी जीवन के लिए द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। जिसके परिणाम स्वरूप पांडवों का खोया राजपाट होने वापस मिल पाया।

 

iii)माता सीता और भगवान राम की सूर्य उपासना:

पौराणिक कथाओं में ऐसी मान्यता है कि रावण का वध करने के पश्चात भगवान राम और माता सीता ने रामराज्य की स्थापना के लिए भगवान सूर्य की पूजा और उपासना की।

 

iv) राजा प्रियवंद का छठ पूजा:

पौराणिक कथाओं में ऐसी मान्यता है कि राजा प्रियवंद पुत्र प्राप्ति हेतु छठ माता का व्रत और उपवास किया। जिसके परिणाम स्वरूप राजा प्रियवंद को पुत्र प्राप्ति हुई।

 

4)छठ पूजा 2021:

 

8 नवंबर को नहाय खाय वाला दिन है। इस दिन सूर्योदय सुबह 6: 50बजे और सूर्यास्त शाम को 5:34 बजे को होगा। इस दिन महिलाएं सुबह सरोवर या नदी में स्नान करेगी और व्रत की शुरुआत करेगी।

 

9 नवंबर को खरना वाला दिन है। इस दिन सूर्योदय 6:51 बजे तथा सूर्यास्त शाम को 5:33 बजे होगा।

 

10 नवंबर को छठ पूजा का मुख्य दिन होगा।इस दिन सूर्योदय 6:52 बजे तथा सूर्यास्त शाम को 5:32 बजे होगा। इस दिन शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ  दिया जायेगा।

 

11 नवंबर को व्रत तोड़ने वाला दिन है। 30 दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाएगा।इस दिन सूर्योदय 6:53 बजे तथा सूर्यास्त शाम को 6:51बजे होगा।

 

5) सारांश:

बहुत सारी महिलाएं अपने पति और संतान के उत्तम स्वस्थ और दीर्घायु होने के लिए छठ माता की पूजा करती है। कई सारी महिलाएं पुत्र प्राप्ति हेतु छठ माता का व्रत और उपवास करते हैं। कुल मिला जुला कर देखा जाए तो यह पर्व घर में सुख, शांति तथा समृद्धि पैदा करने वाला त्योहार है।

 

 

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