आज हम कृष्ण जन्माष्टमी के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेगे। दहीहंडी किस प्रकार मनाते हैं इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।
जन्माष्टमी का त्योहार हिंदुओं में एक प्रचलित त्योहार के रूप में मानाया जाता है |यह त्यौहार कृष्ण जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है| यह त्यौहार श्री कृष्ण के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है| यह त्यौहार अक्सर अगस्त या सितंबर महीने में आता है|
- त्यौहार की खासियत : यह त्यौहार भारत के अलग-अलग प्रांतों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि में मनाया जाता है | मथुरा और वृंदावन में यह त्यौहार विशेष रूप से मनाया जाता है |इस त्यौहार की खास बात यह है कि जिस दिन भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म होता है उस रात्रि को लोग उपवास, रात्रि जागरण ,भक्ति गायन तथा अनेक प्रकार के नृत्य करते हैं | ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म तब हुआ था जब उस समय समाज में व्यापक रूप से उत्पीड़न, बुराई ने घर कर लिया था |भगवान श्री कृष्ण , देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान थे।
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मामा कंस का अत्याचार :ऐसा कहा जाता है कि जब पिता वासुदेव और देवकी जी का विवाह संपन्न हुआ और मामा कंस बहन देवकी को ससुराल लेकर जा रहे थे ,तभी अचानक एक आकाशवाणी हुई उस आकाशवाणी ने कहा– हे कंश ,तुम्हारी मृत्यु देवकी की आठवीं संतान से निश्चित है। मृत्यु के भय से मामा कंस ने देवकी और वसुदेव को जेल में बंदी बना लिया। भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में अर्ध रात्रि 12:00 बजे हुआ । कंस की डर से पिता वासुदेव ने कृष्ण को यमुना नदी पार करके गोकुल में नंद और यशोदा के घर पर पहुंचा दिया। भगवान श्री कृष्ण का लालन-पालन तथा बचपन गोकुल में ही बीता ।
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भगवान कृष्ण का दूसरा नाम माखन चोर: भगवान श्री कृष्ण माखन चोर नाम से भी जाने जाते हैं। अक्सर गोकुल में वह अपने बाल सखाओं के साथ गांव के घर में जाकर माखन चुराया करते थे। एक बार तो गोपीकाओ ने उन्हें माखन चुराते समय पकड़ लिया था और उनकी शिकायत यशोदा माँ से की थी। एक बार उन्होंने मां यशोदा को अपने मुख में ब्रह्मांड का दर्शन कराया था इसे देखकर मां यशोदा घबरा गई थी। बड़ा होने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी और गोपीकाओ के साथ रासलीला भी रचाई थी ।
- विविध कार्यक्रम :जन्माष्टमी के दिन महाराष्ट्र के विभिन्न प्रांतों में दहीहंडी के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम के दौरान अलग-अलग गोविंदा पथक ऊंचाई पर लटकायी गई दहीहंडी को फोड़ते हैं । इन गोविंदा पथको को अच्छे प्रकार का पारितोषिक भी दिया जाता है। गोविंदा, दहीहंडी का कार्यक्रम देखने के लिए एक जन सैलाब उमड़ता है ।दहीहंडी फोड़ते समय गोविंदा पथको के ऊपर पानी की बौछार कराई जाती है और सभी लोग गाने पर नृत्य करते हैं। इस त्यौहार के दिन उपवास खोलने के बाद लोग एक दूसरे को मिठाइयां भी बांटते हैं ।भारत में इस्कॉन जैसे बड़े मंदिरों में अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रम रखे जाते हैं ।पूर्वोत्तर भारत तथा दक्षिण भारत में भी यह त्यौहार प्रचलित रूप से मनाया जाता है । भारत के बाहर अन्य देश जैसे नेपाल बांग्लादेश और अमेरिका में भी यह त्यौहार बहुत ही प्रसिद्ध है।
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जीवन सीख: भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत में एक अहम भूमिका निभाई । महाभारत की लड़ाई में भी अर्जुन के सारथी बने / उन्होंने अर्जुन को बहुत सारे ज्ञान दिए ।भगवत गीता में कहे गए सारे वाक्य भगवान श्री कृष्ण के ही हैं जो हिंदुओं का प्रचलित ग्रंथ है। भगवान श्री कृष्ण के जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि हमें निरंतर कर्म करते रहना चाहिए फल की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए।भगवान श्री कृष्ण ने भगवत गीता में कहा है कि मृत्यु सत्य है हमें अपने जीवन का सदुपयोग करना चाहिए । लोगों की भलाई और समाज कल्याण में निरंतर अग्रसर रहना चाहिए । मानवता परमो धर्म यह उनका एक प्रचलित वाक्य है ।
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